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Watershed Yatra क्या हैै : जानिए संपूर्ण जानकारी

सभी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC, SSC, Railway, Bank, UPSSSC में सरकारी योजनाओं से काफी प्रश्न पूछे जाते हैं इन्हीं योजनाओं में एक योजना Watershed Yatra है।



भारत हमेशा से खेती-प्रधान देश रहा है, लेकिन बढ़ती जनसंख्या, बदलता मौसम और घटता भू-जल-स्तर हमारे लिए एक बड़ी चुनौती बन चुके हैं। ऐसे समय में “Watershed Yatra” जैसी पहल उम्मीद की किरण लेकर आई है। यह सिर्फ एक सरकारी अभियान नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है जो हमें यह सिखाता है कि जल और मिट्टी ही जीवन की असली पूंजी हैं

Watershed Yatra की शुरुआत वर्ष 2025 में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के Land Resources Department द्वारा की गई थी।

यह कार्यक्रम WDC-PMKSY 2.0 (Watershed Development Component of Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana 2.0)** के तहत शुरू हुआ**, जिसका मुख्य उद्देश्य था –

“जन-भागीदारी के ज़रिए जल और मिट्टी का सतत संरक्षण।”

इस यात्रा का औपचारिक शुभारंभ 4 फरवरी 2025 को किया गया था, और इसके तहत देशभर के 13 हज़ार से अधिक गाँवों में जागरूकता अभियान चलाया गया। इसमें किसानों, छात्रों, पंचायतों और स्वयंसेवी संस्थाओं ने सक्रिय भागीदारी निभाई।

सरल शब्दों में कहें तो यह यात्रा उन इलाकों में होती है जहाँ बारिश का पानी बर्बाद हो जाता है या मिट्टी का कटाव तेज़ी से हो रहा होता है।
Watershed Yatra वहां जाकर लोगों को समझाती है कि –

  • हर बूंद पानी कीमती है,
  • मिट्टी की उर्वरता हमारे भविष्य की गारंटी है,
  • और इनकी देखभाल सिर्फ सरकार की नहीं, हम सबकी ज़िम्मेदारी है।

इस यात्रा के दौरान ग्राम पंचायतों में ‘जल पंचायत’, ‘मिट्टी सम्मेलन’, पौधारोपण अभियान, और सफाई रैलियाँ आयोजित की जाती हैं।


Watershed Yatra के मुख्य उद्देश्य:

  1. जल संरक्षण की जागरूकता फैलाना – लोगों को यह बताना कि बारिश का पानी कैसे सहेजें और उसे खेतों तक पहुँचाएँ।
  2. मिट्टी संरक्षण के उपाय अपनाना – टेरेसिंग, चेक-डैम और वृक्षारोपण जैसी तकनीकें सिखाना।
  3. सामुदायिक भागीदारी – “जन-भागीदारी से जन-कल्याण” के सिद्धांत पर आधारित यह यात्रा हर नागरिक को शामिल करती है।
  4. कृषि सुधार – किसानों को समझाना कि स्वस्थ मिट्टी और पर्याप्त जल के बिना खेती टिकाऊ नहीं हो सकती।
  5. भविष्य की तैयारी – जलवायु परिवर्तन के दौर में स्थानीय जल-स्रोतों को मजबूत करना।


 Watershed Yatra कैसे चलती है?

यह यात्रा किसी एक जगह तक सीमित नहीं। हर राज्य में इसे ‘जन आंदोलन’ के रूप में आयोजित किया जाता है।

  • दल-दल और बंजर भूमियों में विशेषज्ञ टीम जाकर ग्रामीणों से संवाद करती है।
  • स्कूल-कॉलेजों में जल संरक्षण पर प्रतियोगिताएँ होती हैं।
  • महिलाएँ स्वयं सहायता समूह बनाकर ‘जल भंडारण पिट’ तैयार करती हैं।
  • और सबसे प्रेरणादायक हिस्सा है — श्रमदान, जहाँ ग्रामीण अपने हाथों से तालाब, नाले और चेकडैम की सफाई करते हैं।


 Watershed Yatra के लाभ:

  1. भू-जल स्तर में सुधार – वर्षा जल संरक्षण से कुएँ और हैंडपंप फिर भरने लगते हैं।
  2. खेती की पैदावार में वृद्धि – नमी और उर्वरता बढ़ने से फसलें अच्छी होती हैं।
  3. रोज़गार के अवसर – ग्रामीण इलाकों में कई लोगों को स्थानीय रोज़गार मिलता है।
  4. पर्यावरण संतुलन – वृक्षारोपण से जलवायु परिवर्तन के खतरे कम होते हैं।
  5. सामाजिक एकता – जब पूरा गाँव एक लक्ष्य से जुड़ता है, तो सामुदायिक बंधन मजबूत होता है।


 Watershed Yatra की आज के समय में प्रासंगिकता:

आज भारत का हर दूसरा जिला जल संकट से गुज़र रहा है।
वर्ष 2024-25 की गर्मियों में कई राज्यों में सूखे के हालात बने।
ऐसे में Watershed Yatra सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारे भविष्य की बीमा पॉलिसी है।

जब हर गाँव अपना पानी संभालेगा और हर किसान मिट्टी की देखभाल करेगा, तभी भारत वास्तव में ‘जल-समृद्ध राष्ट्र’ बन सकेगा।


 आम लोग कैसे जुड़ सकते हैं?

आप भी इस अभियान का हिस्सा बन सकते हैं —

  • अपने गाँव में स्थानीय Watershed Club बनाएँ।
  • स्कूलों में “जल मित्र” कार्यक्रम शुरू करें।
  • बारिश के मौसम में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाएँ।
  • और सबसे महत्वपूर्ण — बच्चों को जल की कीमत समझाएँ।

निष्कर्ष:

Watershed Yatra सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि एक विचार की क्रांति है।
यह हमें याद दिलाती है कि जल और मिट्टी सिर्फ संसाधन नहीं, जीवन का आधार हैं।
यदि हम आज से अपने स्थानीय स्रोतों की देखभाल शुरू कर दें, तो कल हमारे बच्चों को कभी पानी के लिए संघर्ष न करना पड़ेगा।

“हर बूंद का सम्मान करो, हर धरती को संवारो — यही Watershed Yatra का संदेश है।

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